Monday, October 31, 2016

मोहब्बत से गम,गम से हम पेरशान है

दोस्ती से बड़ी कोई जागीर नहीं होती,
इससे अच्छी कोई तस्वीर नहीं होती.

एक प्यार का नाज़ुक सा धागा है दोस्ती,
फिर भी इससे पक्की कोई ज़ंजीर नहीं होती.


मोहब्बत से गम,गम से हम पेरशान है,
लाखो हैं दीवाने तेरे,मगर हम ही बदनाम है.

इतना भी न सताओ अपने चाहने वालो को,
पागल दीवाने ही सही मगर फिर भी इंसान तो है.

जब मेरा जिस्म ही मुझे छोड़ चला जाएगा

इस जमाने के रोशनी से जब बाहर आएगा
तब तेरे दिल में उजाला सा नजर आएगा

खुशी छा जाती है नजरों पे कफन बनकर
दर्दे तन्हाई में तू जिंदगी को समझ पाएगा


इश्क के चिरागों को गजलों से जलाते चलो
उम्र तो इस तरह से भी मेरा कट जाएगा

क्या लेकर जाना है हमें इस दुनिया से
जब मेरा जिस्म ही मुझे छोड़ चला जाएगा

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